Thursday, August 27, 2015

जो रिश्तों पर भारी है

अपना मतलब अपनी खुशियाँ, पाने की तैयारी है।
हुए मतलबी हम सब इतने, जो रिश्तों पर भारी है।।

मातु पिता सँग इक आँगन में, भाई बहन का प्यार मिला।
इक - दूजे  के  सुख - दुख अपने, प्यारा सा संसार मिला।
खुद के मतलब के कारण ही, बना स्वजन व्यापारी है।
हुए मतलबी हम सब इतने ---------

भीतर से इन्सान वो जैसा, क्या बाहर से दिखता है?
हालत ऐसी सन्तानों सँग, जिस्म यहाँ पर बिकता है
खुद के मतलब से बस मतलब, इसी की मारामारी है।
हुए मतलबी हम सब इतने ---------

जीवन - मूल्य बचाना होगा, मुल्क बचाने की खातिर।
काँटे  चुनने  होंगे  पथ  के, सुमन  सजाने की खातिर।
क्या मतलब उस मतलब से जो, घर घर की बीमारी है।
हुए मतलबी हम सब इतने ----------

No comments:

हाल की कुछ रचनाओं को नीचे बॉक्स के लिंक को क्लिक कर पढ़ सकते हैं -
विश्व की महान कलाकृतियाँ- पुन: पधारें। नमस्कार!!!