Wednesday, February 3, 2016

सहारे मिल ही जाते हैं

कभी संघर्ष जीवन तो मुहब्बत के फसाने भी
हजारों जूझ कर जीते कई करते बहाने भी
सभी रंगों के मिलने से ही रौशन जिन्दगी होती
समझकर वक्त को चलते वही पाते ठिकाने भी

मजा है रूठने में भी अगर प्रियतम मनाये तो
रहीं मजबूरियाँ जो भी अगर वो खुद सुनाये तो
जहाँ किचकिच लगे मीठी मुहब्बत के फसाने में
ये जीवन गीत बनता है उसे बस गुनगुनाये तो

कहीं दौलत की चाहत तो कहीं सम्मान चाहत है
किसी को चाहिए शोहरत कहीं मुस्कान चाहत है
मुहब्बत के परिन्दे तो भटकते प्यार की खातिर
हमेशा प्यार की चाहत बहुत नादान चाहत है

भंवर में जिन्दगी लेकिन किनारे मिल ही जाते हैं
अमावस रात में अक्सर सितारे मिल ही जाते हैं
भले रिश्ते हजारों पर सुमन जीता अकेले ही
अकेलेपन को इक दिन तो सहारे मिल ही जाते हैं

दिखा के शान आपस में अदावत क्यों किया करते
हमेशा एक दूजे की शिकायत क्यों किया करते
अजब दुनिया है जिसके साथ जीते हम यहाँ अक्सर
उसी को छोड दूजे से मुहब्बत क्यों किया करते

धरा के गीत गाते हैं, गगन के गीत गाते हैं
शहीदों की चिताओं पर नमन के गीत गाते हैं
सुमन सारे सहजता से खिलेंगे तब मेरे यारा
चमन के हर सुमन मिलके वतन के गीत गाते हैं

1 comment:

प्रवीण पाण्डेय said...

बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ, अनुपम भाव..

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